Garam bhabi ki chut se nikla paani
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Opublikowane przez nitinsinghl
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आज तो मेरी चूद से पानी निकलने वाला है क्योंकि मैंने पिछी कहानी में मैंने अपने दुदों से दूद निकाला था
एक दो बार उनके और मेरे हाथ आपस में छू जाते और हम एक दूसरे को देख लेते
वे सोरी बोल कर हाथ हटा देते इससे ज़्यादा हम लोगों के बीच कुछ नहीं हुआ और ये सफर कट गया
मुझे उमीद तो लग रही थी कि वे कुछ करेंगे लेकिन मेरी उमीद से कही ज्यादा वे मुझे अच्छे लगे
सबी लोग बाते करते हुए और हसी मजाक करते हुए जा रहे थे
रह रह कर मनोच जी भी बीच में जोक कर देते और सभी हंस देते
वे मजाकिया होने के साथ दो अर्थी वाक्य बोल देते तो सब एक दूसरे को देख कर हंस देते थे
तब शैर घंटे बीच गए पता ही नहीं चला. सुबर 10 बजे हम लोग बनारस के घाट पर पहुंच गए.
घाट पर काफी भील थी इसलिए मनोच जी ने गारी थोड़ी अलग जगह पर लगवाए ताकि हम लोग आराम से नहा सके.
नहाने के लिए जगह तो अची थी लेकिन कपड़े बदलने के लिए कोई जगह नहीं थी. यह शायद मनोच जी ने भाम्प लिया था और उन्होंने गारी कुछ हैसे पार्क की ताकि हम लोगों को कपड़े बदल लेने में दिक्कत नहों.
उन्होंने मुझे देखतर सहज हो जाने की तरह से सर से इशारा कर दिया. फिर हमने भी सोचा कि गारी के पीछे ही कपड़े बदल लेंगे. हम सभी नदी में स्नान करने के लिए चले गए. सभी लोग नदी में स्नान कर रहे थे मगर मनोच जी की नजर बार बार मुझ पर ही
नहा रही थी. मनोच जी मुझ से कुछ दूरी पर ही नहा रहे थे. उनका ध्यान नहाने में कम और मेरी देह को देखकर उत्तेजक होने में ध्यान ज्यादा था. जिसका असर उनकी लन्पर पढ़ रहा था और वो गहरे पानी में जाकर उसके ठीक करने लगते. जब हमारी न
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